जय श्री बाबा रामदेवजी महाराज की जय हो
मंदिर में अर्चना आरती के समय
प्रातः 9:15 बजे
दिन में 3 बजे
शाम को 7:15 बजे
प्रातः 9:15 बजे
दिन में 3 बजे
शाम को 6:45 बजे
बाबा रामदेव जी महाराज को द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण ( श्री विष्णु ) का अवतार मान जाता है। और इन्हें पीरों का पीर ‘रामसा पीर’ कहा जाता है। सबसे ज्यादा चमत्कारिक और सिद्ध पुरुषों में इनकी गणना की जाती है। हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव के समाधि स्थल रामदेवरा (रुणीजा) ,जहां भारत और पाकिस्तान से लाखों करोड़ो की तादाद में भगत लोग आते हैं| और बाबा उनकी मनोकामनाय पूरी करते है!!
बाबा के कई मंदिर है राजस्थान और पुरे भारत देश में, ऐसा ही एक मंदिर गांव कोटड़ा में है जिस माना जाता है की बाबा ने सवयं अपने भगतो के साथ मिलकर बनाया था, जिसे कोटड़ा दरबार के नाम से जाना जाता है, और कोटड़ा मंदिर और रुणीजा का मेला एक ही दिन भरता है, जिसमे लाखो करोडो सर्दालु आकर बाबा का आशीर्वाद लेते है और मनोकामनाए पूरी करते है!!
श्री महिंग दास जी महाराज की सच्ची भक्ति से बाबा रामदेव जी महाराज ने प्रसन्न होकर सबसे पहले जालकी का थान पर दर्शन दिया! और विक्रमी समत 1885 को उनके सुपुत्र श्री सीगा दास जी, उदय दास एवम केसव दास जी महाराज को भी दर्शन एवम वचन दिया की आप उनकी सच्च तन-मन से सेवा करे और वो आपकी 52 पीढ़ी तक में आपके वंश की साथ रहूँगा और मंदिर बनाने को बोला और एक बेटे को समाधि लेने को हुक्म किया !
और विक्रमी समत 1926 भादवा बुद्धि ग्यारस को बाबा रामदेव ,सीगा दास जी और उदयदास जी महाराज के आशीर्वाद से केसव दास जी महाराज ने समाधि ली जो की महाराज आज भी मंदिर में विराजमान है |
ब्यावर से 14 किलोमीटर और जोधपुर – पाली रोड पर कोटड़ा दरबार रामदेव मंदिर राजस्थान के लोक देवता और बाबा रामदेवजी के दुवारा चयनित पवित्र स्थान है। यह मंदिर 14 वीं शताब्दी के संत बाबा रामदेवजी के शाश्वत विश्राम स्थान को चिन्हित करता है, जो हिंदुओं को भगवान श्री कृष्ण के अवतार के रूप में मानते हैं, अगस्त और सितंबर के बीच, देश के सभी क्षेत्रों के लोग कोटड़ा मेले में भाग लेने के लिए मंदिर आते हैं, दर्शन और आशीर्वाद लेते है|
जो मुरादे लके आते उनकी इच्छा पूरी हो जाती है और कई हजारो पर्चे (मनोकामनाएं ) मिलते है!
जय कोटड़ा दरबार
कोटड़ा मंदिर में बाबा की रोजाना दिन में तीन बार सेवा ( पूजा अर्चना ) होती है