श्री महिंग दास जी महाराज की सच्ची भक्ति से बाबा रामदेव जी महाराज ने प्रसन्न होकर सबसे पहले गाये चराते हुए को नीलखण्ड महादेव शिवशंकर भगवान के मंदिर से 500 मीटर दुरी पर है जालकी का थान नाम के स्थान पर दर्शन दिया वहाँ पर भी एक मंदिर है बाबा का | वहा पर पहले एक गांव था जिसका नाम था कोटड़ी गांव लकिन धीर धीर लोग आस पास के गांवो में जाकर बसे गए!
और विक्रमी समत 1885 को उनके सुपुत्र श्री सीगा दास जी, उदय दास एवम केसव दास जी महाराज को भी दर्शन एवम वचन दिया की आप उनकी सच्चे तन-मन से सेवा करे और वो आपके सब कस्ट दूर करेंगे और आपकी 52 पीढ़ी तक में आपके वंश के साथ रहूँगा और मंदिर बनाने को बोला और एक बेटे को समाधि लेने को हुक्म किया !
फिर तीनो भाइयो ने मिलकर बाबा की सेवा की और बाबा के हुक्म अनुसार विक्रमी समत 1887 को मंदिर बनाना शुरू किया और बाबा रोज तीनो भाइयो को लेकर रात भर आस पास के क्षेत्र से धन ( सोना – चाँदी ) लेके आते और दिन में मंदिर निर्माण का कार्य करते,
और ये 12 वर्ष तक मंदिर निर्माण का कार्य चला, जब-तक मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ तब तीनो भाइयो ने अपने बाल दाढ़ी नहीं कटवाई और उन्होने तब तक अपने शरीर पर कोई पासना नहीं चलाया|
मंदिर निर्माण कार्य पूरा करके बहुत बड़ा भंडारा किया जिसमे तैतीस कोड़ी देवी देवता को बुलया और बाबा के आशीर्वाद और साथ से मंदिर निर्माण और मंदिर उदघाटन (अभिषेक) का कार्य सफल हुआ |
उसके बाद दोनों बड़े भाइयो ने अपने छोटे भाई की भक्ति और जिद को ध्यान में रहते हुए उन्हें मंदिर में समाधि लेने को बोला और विक्रमी समत -1926 भादवा बुद्धि ग्यारस को समादी ली , क्युकी बाबा का हुक्म एक भाई को ही समाधि लेने का हुक्म था और बाकि को सेवा एवम वचनं दिया था (जैसा वचन की धन जी महाराज को दिया हर जन्म और हर समय बाबा के साथ में, जो आज भी मियाला मंदिर में विराजमान है और बाबा के नाम से सारे काज सफल होते है |
1- आप जब बाबा को सच्चे मन से याद करोगे बाबा आपके साथ रहेगा |
2- जब आप बाबा को बुलाओगे तो बाबा आपका वंश को दर्शन एवं मार्गदर्शन करेंगे|
3- मंदिर बनाने में कोई समस्या नहीं आएगी एवम जो आपके बड़े भाई का निर्णय होगा उसे दोनों भाई उसका पालन करेंगे और बाबा उसे पूरा करेंगे |
4- बाबा ने दिन में तीन बार सेवा करने को बोला और मंदिर में आये हुए हर क्षद्धालु की मनोकामना पूरी होगी |
5- जो आप मेरा नाम लेके बोलोगे वो सारे काज पूरे होंगे |
6- 52 पीढ़ी तक आपके वंश के साथ रहूँगा और बाद में फिर से आपके वंश को दर्शन एवं मार्गदर्शन करुगा |
7- 52 पीढ़ी तक तीनो भाइयो के वंशज ही मेरी सेवा करेंगे|
8- जिसके मन में पाप और द्धेष की भावना आएगी उसका वंश तीन पीढ़ी की बाद नहीं चलेगा!
9- जो मेरी सेवा सही मन से नहीं करगा उसका नाश करुगा|
10- जो मेरी सेवा तन-मन से करेगा उसका कल्याण करुगा |
11- आपके गांव और आस-पास में अगर कोई भी भूखमेरी या कोई महामरी बीमारी आ जाय तो मंदिर के ऊपर चढ़ कर चारो दिशा में शंख बजाय सारी समस्या तीन घडी में ख़तम हो जाएगी |
12- बड़ो का सम्मान करे|
13- मेरा विश्वास करे में आपके साथ रहुगा |
14- मंदिर में तीनो भाइयो का बराबर हिस्सा है, कभी कोई लड़ाई नहीं करे और मेरी सेवा करे अन्यथा परिणाम सही नहीं होगा |
15- मंदिर निर्माण में कभी किसी और का धन का उपयोग ना करे क्यूंकि ये मंदिर मैने रामदेवरा से भी ऊचा (बड़ा मानता हूँ ) ये मेरी सच्चे भगत (श्री सीगा दास ,उदय दास एवम केसव दास ) और भगवन श्री रामदेव जी महाराज के दुवारा बनया गया मेरा पहला मंदिर है अगर आप किसी और को धन से मंदिर निर्माण कार्य करते हो तो उसका परिनाम के लिए तैयार रहना , किसी भी भगत से धन मांगकर उसे परेशान मत करना |
16- मंदिर में आये किसी भी भगत के साथ भेद भाव नहीं करे (राजा हो या रंक सारे एक समान है ) |
17- आपका और मेरा अतीत का रिश्ता है |
18- मेरी इस मंदिर में सेवा के लिये पुजारी आपके वंश का ही होगा (कटारिया परिवार- कोटड़ा) |
19- आपके वंश में से किसी एक को में सारी सच्ची बात हर पीढ़ी बताऊंगा|
20- जो माँ बाप की सेवा नहीं करगा उसको में नाश करुगा |
21- जिस लड़की का साथ आपके परिवार से जुड़ जायगा उसका भी कल्याण होगा |
22- जिस दिन मेरा जागरण होगा उसे दिन में सच्चे भक्त (आपका वंश के) को दर्शन दूंगा|
23- जब-तक काज पूरा न हो तब-तक सपने में बताई हुई बात को किसी ओर ना बताये अन्यथा होगा नहीं |
24-मेरा विश्वास रखे में 52 पीढ़ी तक कभी भी आपका वंश का नाश नहीं होने दूंगा, जो सच्चा होगा उसका कल्याण करुगा ओर वो ही मेरा पुजारी बनेगा|
आज भी हम (पूरा परिवार ) लोग बाबा के बताये हुए मार्ग का पालन कर रहे है ओर इस वंश में जन्म पाकर धन्य है |
भगवान सबको सुखी जीवन देना , सबका दुख दूर करना पापी प्राणी का नाश नहीं उसे सूध बुधि देना मेरी बाबा से यही कामना है